कर्नाटक सरकार चितित
प्रवासी मजदूरों की घर वापसी से कर्नाटक सरकार चिंतित, रद्द की श्रमिक स्पेशल ट्रेनें
सरकार ने ट्रेनों को रद्द करने के लिए कोई कारण नहीं बताया है। रेलवे ने तीन दिनों में बेंगलूरु से विभिन्न राज्यों के लिए आठ श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया
बेंगलूरु. दो दिन पहले दूसरे राज्यों के प्रवासी श्रमिकों को घर जाने के लिए ट्रेनों की व्यवस्था करने का आश्वासन देने के बाद राज्य सरकार ने अब यू-टर्न ले लिया है। मजदूरों के पलायन को लेकर चिंतित कर्नाटक सरकार ने फिलहाल श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का परिचालन नहीं करने का निर्णय लिया है। मंगलवार शाम सरकार ने रेलवे को पत्र लिखकर प्रवासी मजदूरों के लिए प्रस्तावित ट्रेनों का परिचालन रद्द करने की जानकारी दी। हालांकि, सरकार ने ट्रेनों को रद्द करने के लिए कोई कारण नहीं बताया है। रेलवे ने तीन दिनों में बेंगलूरु से विभिन्न राज्यों के लिए आठ श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया। मंगलवार शाम तक रवाना हुई इन ट्रेनों में 10 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिक पैतृक राज्य लौटे हैं। सरकार के फैसले से प्रवासी श्रमिकों में निराशा है।
मजदूरों की कमी को लेकर सरकार और उद्योग जगत चिंतित
दूसरे राज्यों के प्रवासी श्रमिकों की वापसी के लिए ऑनलाइन पंजीयन होने के बाद से बढ़ते आवेदनों के साथ सरकार और उद्योग जगत की चिंताएं बढऩे लगी थी। बताया जाता है कि दूसरे राज्यों के करीब एक लाख लोगों ने पंजीयन कराया था। इसमें मजदूरों के अलावा विद्यार्थी, तीर्थयात्री, सैलानी और बुजुर्ग भी थे। सूत्रों का कहना है कि सरकार इस बात से चिंतित है कि मजदूरों के लौटने से विकास कार्यों पर असर पड़ेगा। साथ ही सरकारी और निजी क्षेत्र की परियोजनाएं भी प्रभावित होंगी।
दरअसल, लॉकडाउन के तीसरे चरण में सरकार ने भवन निर्माण सहित कई उद्योगों को राहत दी है। बाजार भी खुले हैं लेकिन मजदूरों के वापस लौटने से उद्योग जगत चिंतित है। सोमवार को राजस्व मंत्री आर अशोक ने भी कहा था कि हम प्रवासी श्रमिकों को यहीं रुकने के लिए राजी करने की कोशिश करेंगे। उनकी हर सुविधा का ख्याल रखा जाएगा।
मंगलवार को बैठक के बाद सीएम येडियूरप्पा ने एक बार फिर प्रवासी श्रमिकों से राज्य से नहीं जाने और यहीं रहने की अपील की थी। येडियूरप्पा ने कहा था कि राज्य में कोरोना स्थिति दूसरे राज्यों की तुलना में ठीक है और आर्थिक गतिविधियां भी शुरु हो रही हैं। येडियूरप्पा ने ट्वीट करके भी कहा था कि मंत्रियों को प्रवासी श्रमिकों के अपने गृह राज्य नहीं जाने के लिए राजी करने के निर्देश दिए गए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम चाहते हैं कि प्रवासी श्रमिक यहीं रहें। वे हमारी अर्थव्यवस्था की धुरी हैं, उनके बिना आर्थिक गतिविधियां पटरी पर नहीं आ सकती हैं। हम उनका पूरा ख्याल रखेंगे। एक अधिकारी ने कहा कि सिर्फ बिहार जाने के लिए 53 हजार से ज्यादा लोगों ने पंजीयन कराया था। अगर इतनी संख्या में प्रवासी श्रमिक चले गए तो निर्माण उद्योग का क्या होगा। भवन निर्माताओं ने बैठक में सरकार को इस बात से अवगत कराया था। उनलोगों ने सरकार को आश्वस्त किया कि मजदूरों का ख्याल रखा जाएगा। काम नहीं होने के कारण मजदूर जाना चाहते थे, अब काम शुरु हो रहा है लिहाजा वे भी रुकना चाहेंगे। बताया जाता है कि इस बैठक के बाद ही सरकार का रूख बदला और श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को अभी नहीं चलाने का निर्णय लिया गया। हालांकि, श्रमिक संगठनों से सरकार इस फैसले की निंदा की है
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